Monday, December 14, 2015

झूठी शान के परिंदे ही, ज्यादा फड़फड़ाते हैं! बाज़ की उड़ान में कभी, आवाज़ नहीं होतीं!

गठरी बाँध बैठा है अनाड़ी, साथ जो ले जाना था वो कमाया ही नहीं